PATNA : जिस समाचार में मसाला न हो,रोमांच न हो मीडिया आपको नहीं दिखाएगी।कल पूरा दिन टकटकी लगाकर मीडिया अभिनंदन की वापसी को कवर करने बाघा बार्डर पर कैमरा लगाई रही।दो सेकंड के लिए भी कैमरा दूसरी ओर घुमाकर बड़गाम में एमआई-17 हेलीकाॅप्टर क्रैश में शहीद हुए स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ और झज्जर के शहीद जवान विक्रांत सहरावत का अंतिम संस्कार देश को नहीं दिखाया।यह न्यूज़ चैनलों का जघन्य अपराध है।इस अपराध के सहभागी हम लोग भी हैं।अभिनंदन की वापसी निसंदेह महत्वपूर्ण खबर थी पर क्या इन शहीदों का कोई मोल नहीं?सिद्धार्थ 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान रेस्क्यू अभियान के हीरो थे।
परिवार का हौंसला बांधे हुए सिद्धार्थ के पिता भी अंतिम संस्कार की रस्मों के दौरान फूट-फूटकर रोने लगे।उन्होंने ही अपने 31 साल के बेटे को मुखाग्नि दी। पिता पीएनबी बैंक से रिटायर्ड हैं। शव यात्रा के घर से निकलने से पहले आरती पति की पार्थिव देह से लिपट कर गई।उन्होंने वीर शहीद को कंधा दिया। वर्दी में रहीं आरती तिरंगे को सीने से चिपकाकर अपने वीर पति को अंतिम विदाई दी।घर के हर कोने से एक ही आवाज आ रही थी, हमारा बनी कहां चला गया…। शहीद सिद्धार्थ का निक नेम बनी था।
देश के दूसरे हिस्से झज्जर में इसी क्रैश में शहीद विक्रांत सहरावत को अंतिम विदाई दी गई।वीरांगना सुमन ने चॉपर क्रैश में मारे गए पति के शव पर चूड़ियां उतारी और फिर डेढ़ साल के बेटे के साथ सैल्यूट करके उन्हें अंतिम विदाई दी।विक्रांत की माँ कांता कल से बदहवास है। देश दोनों वीर शहीदों को नमन करता है।साथ में अपने अपराध के लिए प्रायश्चित भी।जय हिंद। साभार : विक्रम सिंह चौहान
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